एफमेक सचिव ललित अरोड़ा ने बताया कि भारत में जूतों-चप्पल पर खर्च अभी बेहद कम है, एक रिपोर्ट के अनुसार यहां इसपर प्रति व्यक्ति खर्च 1500 रुपए के लगभग रहता है जो दुनिया के बाकी बाजारों के मुकाबले काफी कम है। साथ ही भारतीय बाजारों में करीब 70 फीसदी हिस्से पर चमड़े के जूते चप्पलों का ही कब्जा है। इस उद्योग से 45 लाख लोग जुड़े हुए हैं। उनमें 40 फीसदी से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं।
सस्ते आयात पर लगाम जरूरी है, भारत में चीन और दूसरे देशों से बड़े पैमाने पर आयात होता है। हमारा मानना है कि तीन डाॅलर आयात मूल्य से कम के जूतों-चप्पलों पर कस्टम ड्यूटी 35 फीसदी कर दी जानी चाहिए और घरेलू उद्योग को न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा दिया जाना चाहिए। इससे देश के उत्पादकों को लाभ होगा। भारतीय फुटवियर सेगमेंट पहले से ही तेज गति से विस्तार कर रहा है। इस तरह के आयोजन इस उद्योग के विकास को अगले स्तर तक ले जाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।