शिक्षा

जूते की संक्षिप्त कहानी और देशप्रेम

अवार्डी सुरेंद्र पाल ने अपने उद्बोधन में जूते की संक्षिप्त कहानी सुनाकर ऑडियंस में देशप्रेम की भावना जागृत की। पापा मैं आपसे बढ़ा हो गया… कविता से दर्शकों का दिल जीत लिया। अभिनेता यहीं नहीं रुके उन्होंने अपने मित्र सिनेस्टार राज बब्बर के साथ मुंबई में स्ट्रगल के किस्से सुनाकर खूब गुदगुदाया। बिना कहें ही आगरा और पागलखाने को जोड़ दिया। अंत में महाभारत सीरियल के द्रोणाचार्य का एक डायलॉग अपनी बुलंद आवाज में सुनाकर दर्शकों को ताली बजाने पर विवश कर दिया।

कला का सम्मान होना ही चाहिए
कार्यक्रम के अंतिम अवार्डी सिनेस्टार राज बब्बर ने कहा कि यह सम्मान मिलना उनके लिए गौरव की बात है। कला किसी भी फील्ड में हो, उसका सम्मान किया ही जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सम्मान जब अपने घर में और घरवालों की ओर से मिले तो उसके आनंद की महक जीवनभर सुगंधित करती है।

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