8 नवम्बर से होगा जूता उद्योग का तीन दिवसीय महाकुम्भ ‘मीट एट आगरा’
आगरा। जूता उद्योग के महाकुम्भ के रूप में विख्यात लेदर, फुटवियर कंपोनेंट्स एन्ड टेक्नोलाॅजी फेयर ‘मीट एट आगरा’ के 16वें संस्करण की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इस इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में क्या खास होगा, कितने देशों की भागीदारी होगी, ऐसे तमाम सवालों के जवाब में सोमबार को वाईपास रोड स्थित होटल लेमन ट्री में आयोजित प्रेसवार्ता में सामने आये। आगरा फुटवियर मैन्युफेक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैम्बर (एफमेक) द्वारा सींगना स्थित आगरा ट्रेड सेंटर पर आयोजित हो रहा तीन दिवसीय फेयर मीट एट आगरा 08 से 10 नवम्बर 2024 तक चलेगा।
आयोजन के विषय में जानकारी देते हुए एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि डेढ़ दशक की अपनी यात्रा में इस आयोजन ने देश में ही नहीं दुनियां में भी अपनी खास पहचान बनाई है। लगभग 35 से अधिक देश और लगभग 200 से अधिक एग्जीबिटर्स इस साल इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। इस फेयर में इस साल लगभग 6 हजार ट्रेड विजिटर्स और 20 हजार से अधिक फुटफाॅल के आने की संभावना है। भारत विश्व की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है इसको रफ्तार देने में आगरा का जूता उद्योग अहम् भूमिका निभा रहा है।
इस प्रकार के आयोजन अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मददगार साबित होते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार और ओद्योगिक संगठनों के इन प्रयासों से मौजूदा 26 अरब डाॅलर का भारतीय फुटवियर बाजार 2030 तक 47 अरब डाॅलर तक हो सकता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से भारत में गैर-चमड़े के जूते जैसे खेल के जूते. दौड़ने के जूते, कैजुअल वियर और स्नीकर्स की मांग में हो रही वृद्धि का फायदा उठाकर हो सकती है।
फेयर आॅर्गनाइजिंग कमेटी के चेयरमैन गोपाल गुप्ता ने कहा कि आगरा के जूता कारोबारियों के लिए खुशी की बात है कि वल्र्ड फुटवियर कलेण्डर में शामिल ‘मीट एट आगरा’ का भारत के लोगों को ही नहीं दुनिया के 35 से अधिक देशों के जूता उद्योग से जुड़े कारोबारियों को इस फेयर का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस वार का ‘मीट एट आगरा’ कई मायनों में खास होगा। न्यू टेक्नोलाॅजी, न्यू इनोवेशंस और नेशनल-इंटरनेशनल मार्केट के न्यू ट्रेंड्स… फुटवियर इंडस्ट्री में आपकी बिजनेस ग्रोथ से जुड़े हर जरुरी सवाल का जबाव आपको इस फेयर में एक छत के नीचे मिलेगा।
एफमेक के कन्वीनर कैप्टन ए.एस. राणा ने कहा कि आज हम चाइना के एक मजबूत विकल्प के रूप में खड़े हैं इस बात को कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यह भारत का टर्न है। टाटा, रिलायंस, वालमार्ट और फ्यूचर ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों ने चाइना से आयात पूरी तरह बंद कर चुकी हैं। ये कंपनियां आज भारतीय प्रोडक्ट पर निर्भर हैं। यही कारण है कि हमारा घरेलू बाजार लगातार ग्रोथ हासिल कर रहा है। अब वक्त है हम अपने प्रोडक्ट्स की क्वालिटी वैश्विक बाजार को ध्यान में रखकर विकसित करें।