देश

महिला सम्मान

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

भारत में प्राचीन काल से ही महिलाओं के सम्मान की परंपरा और संस्कृति रही है। भारतीय परम्परा और इतिहास में इससे संबंधित उदाहरणों की कमी नहीं है। वैदिक काल में महिलाओं ने ऋचाओं की रचना की। वह विद्वतापूर्ण शास्त्रार्थ में सहभागी होती थी। युद्ध क्षेत्र में उनकी भूमिका वीरांगना के रूप में रहती थी। विदेशी आक्रांताओं के समय से महिलाओं को उपेक्षा शुरू हुई थी। इस कारण हमारे समाज में अनेक कमजोरियों ने जगह बना ली। रानी अहिल्याबाई,रानी लक्ष्मी बाई, रानी दुर्गावतीं जैसी अनेक वीरांगनाएं और कुशल प्रशासक वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणा की स्रोत है। वर्तमान सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़़ाओ अभियान का शुभारंभ किया था। यह सार्थक रूप में आगे बढ़ा है। अभियान का व्यापक निहितार्थ है। इसमें बेटियों के प्रति सम्मान उनके स्वास्थ्य शिक्षा सुरक्षा के विषय शामिल है। इसके साथ ही महिला स्वावलंबन पर भी बल दिया गया। यह माना गया कि आधी आबादी को उपेक्षित कर कोई देश विकास नहीं कर सकता है। बालिकाओं व महिलाओं को जहां उचित अवसर मिला उन्होंने बेहतर ढंग से कार्य किया किया है। सरकार ने महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया। इसके दृष्टिगत सामाजिक जागरूकता के साथ ही महिला स्वावलंबन संबधी अनेक योजनाओं को लागू किया गया। विगत कुछ वर्षों में महिला सम्मान व स्वालंबन संबधी अनेक उल्लेखनीय कार्य किये गए। उत्तर प्रदेश में मिशन शक्ति योजना लागू की गई। इसके माध्यम से समाज में जागरूकता का सन्देश दिया गया। महिला सम्मान व स्वावलंबन में समाज की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। यह कार्य केवल सरकार के द्वारा नहीं हो सकता। समाज की चेतना अपरिहार्य होती है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के माध्यम से देश की चेतना को जगाने का प्रयास किया गया। इससे अनेक राज्यों में बेटियों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई।
महिला स्वावलंबन संबधी सुमंगला योजना का शुभारंभ उत्तर प्रदेश में किया गया था। यह अपने ढंग की यह अभिनव योजना है। इसमें

इसमें बेटियों को शिक्षित व स्वावलंबी बनाने का उद्देश्य निर्धारित किया गया। इसके अलावा वूमेन पावर लाइन पर आने वाली शिकायतों की
समीक्षा करते हुए इनके त्वरित समाधान की व्यवस्था की गई। पहले जिन बहन बेटियों के अपने बैंक खाते भी नहीं थे। आज उनके पास डिजिटल बैंकिंग की ताकत है। इसमें बेटियों को शिक्षित व स्वावलंबी बनाने का उद्देश्य निर्धारित किया गया।आयुष्मान भारत योजना से सर्वाधिक लाभ महिलाओं को हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत आवास प्राथमिकता पर

महिलाओं के नाम पर बनाये गये हैं। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों की संख्या में आवास बनाये गये हैं। इनमें से अधिकतर आवास महिलाओं के नाम पर बनाये गये हैं।
स्वामित्व योजना के अन्तर्गत देश भर में घरों के मालिकों को उसके कागजात घरौनी दी जा रही है। मुद्रा योजना के अन्तर्गत गांव में गरीब परिवारों की नयी महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना के अन्तर्गत गांव में गरीब परिवारों की नयी महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना के अन्तर्गत दिये गये ऋण में से सत्तर प्रतिशत महिलाओं को प्रदान किये जाते हैं। दीनदयाल अन्त्योदय योजना के जरिये भी बहनों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जा रहा है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जा रही है। पहले स्वयं सहायता समूहों को दस लाख रुपये का ऋण बिना गारण्टी के उपलब्ध कराया जाता था।

अब इसका दोगुना बीस लाख रुपये दिया जा रहा है। मुस्लिम बहनों को उत्पीड़न और शोषण से बचाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया गया। आधी आबादी को उपेक्षित कर कोई देश विकास नहीं कर सकता है। विदेशी आक्रांताओं के समय से महिलाओं को उपेक्षा शुरू हुई थी। इस कारण हमारे समाज में अनेक कमजोरियों ने जगह बना ली। कुछ वर्ष पहले तक बेसिक स्कूलों में शौचालय ना होने के कारण बालिकाएं आगे की
आगे की पढ़ाई छोड़ने को विवश हो जाती थी। सरकार ने इस समस्या के समाधान का समाधान किया। स्वच्छ भारत अभियान में यह विषय शामिल था। प्रचीन काल से भारत की परंपरा में महिलाओं सम्मानजनक स्थान मिलता रहा है। नारी नीति,निष्ठा,निर्णय शक्ति और नेतृत्व का प्रतिबिंब होती हैं। वेदों में परंपरा से यह आह्वान किया गया है कि नारी सक्षम,समर्थ हो और राष्ट्र को दिशा दे सकती है। ईश्वरीय सत्ता को नारी के रूप में स्थापित किया है। सीता राम,राधे कृष्ण और गौरी गणेश के माध्यम से नारी सत्ता को प्राथमिकता दी गई है। पूरे भारत में कुलदेवी की प्रतिष्ठा होती है।भारत में प्राचीन काल से ही महिलाओं का सम्मान करने की परंपरा और संस्कृति रही है। महिलाओं की प्रगति देश को मजबूत बनाती है। सरकार महिलाओं और बेटियों को उनके सपने पूरे करने के लिए उनकी प्रगति के लिए वित्तीय मदद प्रदान कर रही है।महिलाओं को सेना में उच्च रैंक तक प्रमोट किया जा रहा है। सैनिक स्कूलों में बेटियों को दाखिले देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। बालिकाओं की शिक्षा का विस्तार किया जा रहा है। जनधन योजना के माध्यम से तेईस करोड़ महिलाओं के खाते खोले गए हैं। नौ करोड़ महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए गए हैं। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाओं को शौच के लिए घर से बाहर न जाना पड़े।
वोकल फॉर लोकल अभियान के माध्यम से महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है। नारी सशक्तिकरण में समाज का भी दायित्व कम नहीं है। यह विचार अन्यत्र से लेने की आवश्यकता ही नहीं है। भारतीय संस्कृति में इसका सर्वश्रेठ उल्लेख है। इस पर अमल की आवश्यकता है। नारी सुरक्षा,नारी सम्मान और नारी स्वावलंबन एक साथ जुड़ेंगे तो नारी सशक्तिकरण का लक्ष्य स्वतः ही प्राप्त होगा।

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