आगरा

आगरा। बैंक के ड्रॉप बॉक्स में चेक डालना भी सुरक्षित नहीं है। सैंया पुलिस ने पांच शातिरों को पकड़ा है। वे ड्राप बॉक्स से चेक चोरी करके उन्हें भुना लिया करते थे। क्लोन चेक तैयार करके वारदात को अंजाम देते थे। क्लोन चेक तैयार करने का अंदाज जानकर पुलिस भी हैरान रह गई। इतना ही नहीं जिस नाम से चेक होता था, उस नाम से खाता तक खुलवा लिया करते थे। एसीपी सैंया देवेश सिंह ने बताया कि अंतरराज्जीय गैंग पर कार्रवाई की गई है। आरोपियों को कटी पुलिस चौकी के पास से गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से ब्रीजा कार, लैपटॉप, प्रिंटर, चैकों के बंडल, चाबियां आदि सामान बरामद किया है। आरोपियों ने बताया कि ड्राप बॉक्स में लोग वे चेक डालते हैं, जो एकाउंट पेई होते हैं। वे जिस बैंक के ड्राप बाक्स से चेक चुराते थे, उस बैंक की एक दूसरी चैक बुक उनके पास पहले से रहती थी। जो चैक बुक उनके पास पहले से होती थी, उसके नंबर ब्लेड से खुरच दिया करते थे। चुराए गए चैक की डिटेल प्रिंटर की मदद से उस पर प्रिंट कर देते थे। इसके बाद तैयार किए गए क्लोन चेक में किसी का नाम भरकर उसे कैश करा देते थे। खाता धारक के साइन भी स्कैन करके हूबहू बना लेते थे। पुलिस ने बताया कि आरोपियों का आपराधिक इतिहास है। मुख्य आरोपी प्रशांत पर 8, अरुण कुमार पर 3, जयप्रकाश पर 4 मुकदमे दर्ज हैं। इनकी हुई गिरफ्तारीः पूछताछ में आरोपियों ने अपने नाम प्रशांत यादव (पटियाली कासगंज), जयप्रकाश (डिबाई बुलंदशहर), अरुण कुमार (अलीगढ़), अरुण (फरीदाबाद, हरियाणा) बताए।

आगरा। बैंक के ड्रॉप बॉक्स में चेक डालना भी सुरक्षित नहीं है। सैंया पुलिस ने पांच शातिरों को पकड़ा है। वे ड्राप बॉक्स से चेक चोरी करके उन्हें भुना लिया करते थे। क्लोन चेक तैयार करके वारदात को अंजाम देते थे। क्लोन चेक तैयार करने का अंदाज जानकर पुलिस भी हैरान रह गई। इतना ही नहीं जिस नाम से चेक होता था, उस नाम से खाता तक खुलवा लिया करते थे।
एसीपी सैंया देवेश सिंह ने बताया कि अंतरराज्जीय गैंग पर कार्रवाई की गई है। आरोपियों को कटी पुलिस चौकी के पास से गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से ब्रीजा कार, लैपटॉप, प्रिंटर, चैकों के बंडल, चाबियां आदि सामान बरामद किया है। आरोपियों ने बताया कि ड्राप बॉक्स में लोग वे चेक डालते हैं, जो एकाउंट पेई होते हैं। वे जिस बैंक के ड्राप बाक्स से

चेक चुराते थे, उस बैंक की एक दूसरी चैक बुक उनके पास पहले से रहती थी। जो चैक बुक उनके पास पहले से होती थी, उसके नंबर ब्लेड से खुरच दिया करते थे। चुराए गए चैक की डिटेल प्रिंटर की मदद से उस पर प्रिंट कर देते थे। इसके बाद तैयार किए गए क्लोन चेक में किसी का नाम भरकर उसे कैश करा देते थे। खाता धारक के साइन भी स्कैन करके हूबहू बना लेते

थे। पुलिस ने बताया कि आरोपियों का आपराधिक इतिहास है। मुख्य आरोपी प्रशांत पर 8, अरुण कुमार पर 3, जयप्रकाश पर 4 मुकदमे दर्ज हैं।
इनकी हुई गिरफ्तारीः पूछताछ में
आरोपियों ने अपने नाम प्रशांत यादव (पटियाली कासगंज), जयप्रकाश (डिबाई बुलंदशहर), अरुण कुमार (अलीगढ़), अरुण (फरीदाबाद, हरियाणा) बताए।

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