प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए हर वर्ष बड़ी संख्या में पौधे लगवाती है। पौधे लगाने के लिए किसानों को भी प्रेरित किया जा रहा है। अब उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए कार्बन क्रेडिट से जोड़ा जा रहा है। सरकार भी किसानों को चरणवार ढंग से कार्बन क्रेडिट योजना से जोड़ रही है। अगले वर्ष से प्रदेश के सभी जिलों के किसानों को इस योजना का लाभ मिलने लगेगा। किसानों को यह बताया जा रहा है कि अपने खेत में पौधे लगाओ पर्यावरण बचाओ और पैसे कमाओ।
पहले चरण में छह मंडलों (गोरखपुर, बरेली, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद व सहारनपुर) के बाद दूसरे चरण में सात मंडलों (देवीपाटन, अयोध्या, झांसी, मीरजापुर, कानपुर, वाराणसी व अलीगढ़) का चयन हो चुका है। अब तीसरे चरण में शेष पांच मंडलों (आगरा, आजमगढ़, प्रयागराज, चित्रकूट धाम व बस्ती) में इस योजना को शुरू किया जाना है। नये प्रस्तावित सात मंडलों में किसानों को वर्ष 2024-25 एवं इसके बाद किये जाने पौधारोपण को शामिल किया जाएगा। योजना के अंतर्गत प्रत्येक पांच वर्ष में छह डालर प्रति कार्बन क्रेडिट दिये जाने का प्रविधान है।
कार्बन क्रेडिट के जरिए किसानों की आय में वृद्धि के लिए सरकार ने द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के साथ एमओयू भी किया है। टेरी किसानों के लगाए गए पेड़ों का सर्वेक्षण कर उन्हें कार्बन क्रेडिट करेगी।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष सुनील चौधरी कहते हैं कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए कार्बन क्रेडिट योजना का अधिक से अधिक उपयोग किया जाएगा। पहले चरण में 228 किसानों को एक करोड़ रुपये की धनराशि दी जा रही है। जो किसान जितना अधिक पेड़ लगाएंगे उन्हें उतना अधिक इस योजना का लाभ मिलेगा।
क्या होता है कार्बन क्रेडिट?
कार्बन क्रेडिट एक तरह का सर्टिफिकेट है जो कार्बन उत्सर्जन के लिए दिया जाता है। ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने के लिए इसे तैयार किया गया है। आप जितना कार्बन उत्सर्जन करेंगे, उतना ही ज्यादा आपको ऐसी चीजों पर खर्च करना होगा जो उत्सर्जन घटाएं।
कार्बन क्रेडिट एक तरह से आपको कार्बन उत्सर्जन की भरपाई करते हैं। कार्बन क्रेडिट के पैसे से कहीं जंगल लगाए जा रहे हैं जो उत्सर्जित गैसों को सोखते हैं। एक कार्बन क्रेडिट का मतलब है कि आपने एक टन कार्बन डाइऑक्साइड या दूसरी ग्रीन हाउस गैसों को पर्यावरण में जाने से रोका है।