आगरा। एत्मादपुर ब्लाक में सहायक विकास अधिकारी (कृषि) के पद पर तैनात शैलेन्द्र प्रताप शाह बुधवार को सुबह घर से ब्लाक कार्यालय आ रहे थे। रास्ते में बरहन के पास उनके मोबाइल पर वाट्सएप काल आई कि मैं चढ़ीगढ से एसआई विजय कुमार झा बोल रहा हूं। आपके साले इंद्रपाल सिंह के लड़के अनुज की पोस्टिंग एसबीआई में होने वाली है, वह इस समय हमारी हिरासत में है। उसे दो मर्डर केस में वारंटी उसके मित्र और उसकी बहन के साथ पकड़ा गया है। मालुम पड़ा है अनुज निर्दोष है। हमारे पास बैठा है। आप इसके फूफा हैं। हम भी इंसान हैं, हमारे भी बच्चे हैं। लेकिन आप इसकी लाइफ (भविष्य) बचा सकते हो।
अचानक इस भावनात्मक संवाद से जाल में फंसाने के लिए फर्जी पुलिस दारोगा ने एडीओ शैलेन्द्र प्रताप शाह की अनुज की आवाज में किसी से बात कराई तो उसने कहा कि फूफा जी मुझे आप बचालो, आप इनको जल्दी पैसे दे दो। मैं आकर आपके खाते में डाल दूंगा। लेकिन पापा को यह सब मत बताना, नहीं तो वह मुझे बहुत मारेंगे। साइबर अपराधियों के इस जाल को एडीओ सच्चाई मान बैठे और फिर उनसे पचास हजार रुपए की रिश्वत की डिमांड की गई। ना-नुकुर के बाद उन्होंने 25 हजार रुपए का फोन-पे कर दिया। लेकिन कुछ देर बाद एडीओ ने अपने साले के पुत्र अनुज के मोबाइल पर काल की तो वह आगरा में था। तब उन्हें अपने साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी हुई।
उन्होंने बताया कि इसके बाद शाम को फिर शातिर उसी नंबर से फोन आया और उसने कहा कि बीडीओ साहब आप एक नेक अधिकारी हैं, मैं आपके पैसे वापस कर रहा हूं। लेकिन मेरा खाता सरकारी है, तीस हजार से कम का लेन-देन नहीं होता है। इस लिए आप पांच हजार रुपए और डाल दो, मैं तीस हजार रुपए तत्काल वापस कर दूंगा। लेकिन एडीओ तब तक बैंक से लेकर पुलिस तक को अपने साथ हुए इस फ्राड की जानकारी दे चुके थे। इस लिए दोबारा शातिर के झांसे में नहीं आए वर्ना पांच हजार रुपए की चपत और लग जाती।